सोमवार, 23 नवंबर 2009

हकीकत में न ले चलो दोस्तों...

मुझे हकीकत में न ले चलो दोस्तों,
बस इक बार कहूँगा बेगुनाह हूँ दोस्तों|

कदम पहले बढ़ाने की कोशिश की हर सफ़र में 
ठहर गया तूफानों से रास्ते जब बदल गए दोस्तों| 

हर हाथ सहारे को बढतें रहे हर पल 
गलत थे जो उसको उधार कह गए दोस्तों|

चोट खाकर अभी संभल पाए थे नहीं 
खुद ही आँखों में आँसू देखे थे दोस्तों|

तमन्नायें देखो तो लोकेन्द्र भी रखता है 
बस आप अपनी मंजिल फ़तह करो दोस्तों|

19 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

दर्द का गहरा एहसास है, शीशें की किरचने दिखती हैं , जो चुभती हैं
पर कहीं नए रास्ते हैं, उसकी आहटें हैं

निर्मला कपिला ने कहा…

तमन्नायें देखो तो लोकेन्द्र भी रखता है
बस आप अपनी मंजिल फ़तह करो दोस्तों|
ारे आँसूओं की बात मत किया करो । दर्द नाम की चीज़ तुम्हारे लिये नहीं बनी है तमन्नायें रखो उन्हें पूरा करने के लिये लक्षय पर ध्यान दो लोगों को कदमों मे झुकाने की हम्मत पैदा करो बस वैसे रचना की बात करूँ तो बहुत अच्छी बन पडी है । बहुत बहुत आशीर्वाद ।

Rajeysha ने कहा…

(:)
दोस्‍तों से उम्‍मीद रखने का जमाना नहीं रहा

सुनीता शानू ने कहा…

वाह भई लोकेंद्र भाई बहुत सुन्दर लिखा है, सबसे खूबसूरत और सजीव लगती है यह पंक्तियां...
तमन्नायें देखो तो लोकेन्द्र भी रखता है... यही यथार्थ है तमन्नाएं जब तक है जीवन है.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

मुझे हकीकत में न ले चलो दोस्तों,
बस इक बार कहूँगा बेगुनाह हूँ दोस्तों|


waah ! pahli pankti ne hi man moh liya

bahut hi sunder kavita...

Apanatva ने कहा…

lokendra bahut sunder rachana hai . jamana badal raha hai aur sath hee samay ke sath sath dostee ka arth bhee .aankana bahut mahatv rakhata hai apane ko bachane ke liye .

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

कदम गर अपनों के साथ चलते सफ़र में
मैं तूफानों को राह में ही रोक लेता दोस्तों

दिगम्बर नासवा ने कहा…

तमन्नायें देखो तो लोकेन्द्र भी रखता है
बस आप अपनी मंजिल फ़तह करो दोस्तों..

ACHHEE RACHNA HAI ... UMDA ,...

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन!!

Kusum Thakur ने कहा…

"तमन्नायें देखो तो लोकेन्द्र भी रखता है
बस आप अपनी मंजिल फ़तह करो दोस्तों| "

बहुत अच्छी रचना. बधाई है !!

राज भाटिय़ा ने कहा…

हर हाथ सहारे को बढतें रहे हर पल
गलत थे जो उसको उधार कह गए दोस्तों|
बहुत सुंदर कविता जी धन्यवाद

padmja sharma ने कहा…

लोकेन्द्र जी ,
दूसरों की खुशी अपनी तमन्ना में रखना बहुत बड़ी बात है .

Crazy Codes ने कहा…

shabdheen hun... kuchh bhi kahna suraj ko diye dikhane jaisa hoga... aur ye gunaah main nahi karunga...

http://ab8oct.blogspot.com/
http://kucchbaat.blogspot.com/

कविता रावत ने कहा…

चोट खाकर अभी संभल पाए थे नहीं
खुद ही आँखों में आँसू देखे थे दोस्तों|
Khud par yakin kar chale to dost kya jamana saath ho leta hai...
Bahut achhi rachna...
Badhai

मस्तानों का महक़मा ने कहा…

खूब कहा है आपने...

पढ़कर अच्छा लगा ...

Ashish (Ashu) ने कहा…

बहुत कुछ चन्‍द शब्‍दों में व्‍यक्‍त किया, आभार ।
ये बतायिये मै आपका प्रशसक कॆसे बनू मुझे लिंक ही नही मिला

Ashish (Ashu) ने कहा…

माफ किजिये्गा भाई अन्ग्रेजी मे टिपटिपा दिये थे इसी लिये उपरोक्त टिप्पणी मॆने हटा दी ये मुई अन्ग्रेजी पीछा ही नही छोडती पर धन्यवाद पधारने के लिये

Pushpinder ने कहा…

itna gehra ehsaas...itni gehri soch...antar dhyan hokar padne ki koshish kee maine to kayi aney arth bhi sunayi parte hain aapki is rachna mein...dilkko bahut gehrai se chooh jaane wali anmol racha...prerit bhi karne wali rachna...ati sundar...

रचना दीक्षित ने कहा…

एक बहुत बेहतरीन रचना गंभीर भाव लिए हुए