बचपन से सुना और पढ़ा है की रास्ते में हमेशा बाएं रहो.! लेकिन मजे की बात ये है की आज भोपाल के एम.पी.नगर में मै रोड के एकदम किनारे खड़ा था फिर भी एक सरदार अंकल अपने स्कूटर को मुझसे ठोक कर पूछे, "लगी तो नही.?" एक बार उनको देख कर मै अपना गुस्सा पी गया और वहाँ कोई तमाशा न बने इसलिए झट से उठ के कहा आप जाइये अंकल| खैर उस समय तो आभास नही हुआ लेकिन कुछ देर बाद जब बाएं हाथ की कुहनी में जलन महसूस हुई तो देखा खून बह रहा है और फिर जब मेडिकल स्टोर से दावा लेने बढ़ा तो पैर ठीक से नही रखा जा रहा था| खैर चोट ज्यादा नही लगी बस दाहिने हाथ की कुहनी बुरी तरह से रगड़ गई है, जिससे लिखते या पढ़ते समय हाथ को सहारा देने में तखलीफ़ है और बाएं पैर के मांसपेशियों में चोट है जिससे पैर ठीक से रखा नही जा रहा है| साथ ही फ्लैट पर पहुँचने पर पता चला की मेरी पैंट भी इसी में शहीद हो चुकी है|
वैसे जो होना था वो हो चुका है लेकिन मजे की बात ये है की अभी पिछले शुक्रवार को मेरे एक साथी ने मुझे रोड पार करते समय ये सलाह दी थी की भय्या सम्भल कर चलियेगा इस शहर में ट्रैफिक से खुद बचना होगा| उस समय भी मै हंसा था और अभी भी हंस रहा हूँ क्योकि आज मै एकदम बाएं खड़ा था और सरदार जी भी शायद बाएं चलो की नीति का अनुसरण करते हुए इतने बाएं होना चाहे की मुझी को मेरे बाएं से पीछाड़ना उचित समझा और मै अपनी बाएं तरफ से उनके चपेट में आ गया| खैर ईश्वर जो करता है वो अच्छे के लिए करता है, फिर भी मै भी अब इस बात का खुद अनुसरण करूँगा की इस शहर में बचना है तो खुद बचना है, नही तो आज बचे हैं कल का ईश्वर मालिक है...
2 टिप्पणियां:
लोकेंदर जी आप मेरे ब्लॉग पे आये यही मेरे लिए बड़ी बड़ी सफलता है और मुझे अपने विचारो से अवगत करवाया
बस असे ही आना जाना बना के रखिये
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
Achchhi rachna hai. Pls review my hindi blog as well...
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