कई दिनों से यहाँ मै लिखने से दूर रहा। इस बीच मैंने कुछ लिखा भी तो उसे यहाँ लिखने का मन नही हो पाया और कुछ व्यस्तता ऐसी रही की यहाँ से दूरी भी बनी रही। एक बार फ़िर आप लोगो से उस दूरी को हटाते हुए, मै यहाँ अपनी कुछ भावनाओं को कुछ पंक्तियों के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ........
खोई हुई हैं महफिलें
खोया है इक समां प्यारा
तलाश करने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई,
खोये हैं जीवन के कुछ पहलू
खोये हैं कई फ़साने भी
सबको समेटने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई,
खोया है इक जश्न सुहाना
खोया है एक कारवां भी
पाने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई
अब प्रतिज्ञ हूँ न कुछ खोऊँ
अल्फाजों की जागीर भी
दास्ताँ सहेज लूँ डायरी के पन्नो में
लफ्ज कभी भी मिल जायें जो ,
लेखक बनने की जब भी कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई !!
खोया है इक समां प्यारा
तलाश करने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई,
खोये हैं जीवन के कुछ पहलू
खोये हैं कई फ़साने भी
सबको समेटने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई,
खोया है इक जश्न सुहाना
खोया है एक कारवां भी
पाने की जब कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई
अब प्रतिज्ञ हूँ न कुछ खोऊँ
अल्फाजों की जागीर भी
दास्ताँ सहेज लूँ डायरी के पन्नो में
लफ्ज कभी भी मिल जायें जो ,
लेखक बनने की जब भी कोशिश की
चलते ही मासूम शाम आ गई !!
22 टिप्पणियां:
आपकी ये प्रतिग्या बिलकुल सही है अनुभूतियों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं और ये अनुभूतियाँ कुछ खो कर ही होती हैं बेहतरीन रचना शुभकामनायें
koshishe hi kaamyaab hoti hai.....koshish karte rahiye
बहुत ही सुन्दर है आपकी मासूम शाम ....
रचना बहुत अच्छी लगी....बहुत बहुत बधाई....
बहुत बेहतरीन भावों की बानगी!! बधाई.
सुंदर रचना...शाम
Sabse pahle to is tasveer ko apne 'fiber art' me tabdeel karne kaa man ho raha hai...!
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
http://shama-kahanee.blogspot.com
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बहुत सुंदर भाव .. बहुत बढिया रचना !!
निरंतर कहते रहना ही जिंदगी है ....
आपका लिखा पढ़कर अच्छा लगा
बहुत सुंदर...
आप आये बहार आयी...सु स्वागतम...प्रभु...
नीरज
वाह क्या बात है लोकेश जी क्या खूब एहसासात को तवज्जो दी है आपने क्या खूब भाव डाले हैं आपने बहोत ही खुबसूरत रचना है बहोत पसंद आयी... बहोत बहोत बधाई ..
अर्श
Suhanee Shaam , Ghamgeen Shaam , udaas sham ,yeh to sab suna tha kyonki sham kay samay surya ast ho raha hota hai woh samay dinbhar kay dard samait leta hai. magar aapki rachna main masoom sham padhkar bahut acha laga. aapnay sham ko naya aayam diya hai. Shubhkaamnain.
बेहतरीन
सुन्दर रचना ..... एहसासों की गहरायी है.....
great........
suhani shaam dhal gaye mujhe laga ke tum aa gaye....
bahut khoob likha aap ne
Umda likha hai !! likhte rahiye..
खोये हैं जीवन के कुछ पहलु ............|
हर व्यक्ति के जीवन का कोई पहलू khota jaruur hai ,jo kho jata hai vah milta naheen hai ,achchhee bhav puurn rachna badhai .
shaam hai to subah bhi hogi,
yaadein sahejne ki wajah bhi hogi,
in palo ko khamosh sa guzarne mut dena,
jeete rehna, muskaate rehna,
aur haan,
likhte rehna.....
बहुत सुन्दर भाव॥
bahut khoob........kripya hindyugm ke liye ise record karke,likhit bhi....rasprabha@gmail.com par bhej dijiye
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