एकांत में बैठा मै कुछ सोच रहा था की तभी कुछ लिखने की चाह में मैंने कलम उठा ली| फिर जो भावनाए निकली वो अब आपके सामने प्रस्तुत है.....
पल-पल बढ़ती हुई
रिश्तों की गहराई में
खामोश निगाहों से
कहती थी वो
कुछ बातें,
समझ बनी तो
कुछ था समझा
लफ्ज नही
फिर भी दे पाया,
अब चाहूँ तो
वो दूर खड़ी है
बन्धन में बस
एहसासो की डोर से,
तमन्नाओं को फिर भी
मार रहा हूँ
नई उमंगें
लाने को,
फिर भी कोई
वजह है जो
दिल को
इंतजार रहता है |
23 टिप्पणियां:
छोटी सी उमर में ही लग गया रोग.....
हा....हा....हा....
बेहतरीन रचना.......
समझ बनी तो
कुछ था समझा
तो यह समझ बनने से पहले की "समझ" थी. चलो कोई बात नही इंतजार की डोर तो हाथ में है ही.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
बेहद भावपूर्ण...बधाई.
यह इंतजार ही जीवन है। अच्छी रचना के लिए बधाई।
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता। बहुत शानदार लिखा है।
bahut badhiyaa!!
एक निहायत सुन्दर भाव से सुसज्जित रचना....बधाई!
nice
हुयी ---> हुई
बहुत भावभरी रचना !!
वाह बेटा ये क्या सुन रही हूँ अरे तुम्हें तो पढने भेजा है। और तुम र्प्ग लगा बैठे हो? अच्छा नहीम होता ये रोग । खैर कविता बहुत अच्छी भावमय है। मगर अभी नासमझ ही बने रहो। बहुत बहुत आशीर्वाद।
ek intajaar hi hai jo jeevan bhar kahin na kahin bahut andar humare dil mein rahti hai... achhi rachnayein hai aapki...
वो दूर खड़ी है
बन्धन में बस
एहसासो की डोर से,
तमन्नाओं को फिर भी
मार रहा हूँ
नई उमंगें
लाने को,
फिर भी कोई
वजह है जो
दिल को
इंतजार रहता है |
wah! in panktiyon ne dil ko chhoo liya....behtareen alfaazon ke saath ek behtareen rachna.....
फिर भी कोई
वजह है जो
दिल को
इंतजार रहता है ......
बहुत खूब लिखा है ......... अक्सर मोहब्बत की शुरुआत में ऐसा ही होता है .......
Nice...one...
intazar intazar bas yahi hai ya pyaar
accha likha hai apne.
regards
awantika singh
पल -पल बढ़ता हुआ हसास गहराई की ओर मोड़ता है . सुंदर भाव के लिए बधाई .
bahut acche, keep it up
umeed ka daman nahi chota karte,
kyunki, saath chute to riste nahi toda karte.
टिपण्णी के तौर पर मैं आपकी ही कविता को यहाँ फिर से रख देना चाहता हूँ बस!
हूँ, ये तो मामला गडबड लगता है। रब खैर करे
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।
लोकेन्द्र जी आपने मेरे शेर सराहे मेरे ब्लॉग पर आये फोलोवेर बने बहुत बहुत शुक्रिया.
रिश्तों के बारे में मैं भी एक राय रखती हूँ अगली बार मेरे ब्लॉग पर आयें तब जरूर देखें.
आपकी रचनाएँ सीधी सरल हैं .अच्छी लगती हैं.
atyant samvendansheel!! likhte rahe!!
khamoshi kee bhi apni zuban hoti hai.lafz nahi magar asar bahut rakhtee hai..
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