हम आरजू के सितम से घबराने लगे हैं,
अब तो मरहम भी जख्म गहराने लगे हैं|
खता थी जो बेबाक थे हर साये में,
अब तो अपने भी अंगुलियाँ उठाने लगे हैं|
हर शख्स जो हाथों को थामे चलता था,
अब खुद को पाने में, सबको भटकाने लगे हैं|
गुस्ताखी की जो अमन में अपनी दास्ताँ बयाँ की,
अब तो खुद हम अपना आशियाँ बचाने लगे हैं|
खुली किताब थे जिनके सामने हर पल,
वो भी तो अब सबको मसखरे सुनाने लगे हैं|
कैसे करे दो बातें एहसासो की लोकेन्द्र,
अब तो चेहरे से जज्बातों की लकीरें छिपाने लगे हैं|
25 टिप्पणियां:
बहुत बढिया गजल है।बधाई।
kya baat hai !
बहुत ही बढ़िया व लाजवाब ग़ज़ल....
ग्रेट ......
बहुत खूब
सुन्दर
bahut khub....
gazal ke her lafz bolte hain
गुस्ताखी की जो अमन में अपनी दास्ताँ बयाँ की,
अब तो खुद हम अपना आशियाँ बचाने लगे हैं|
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल...सच को बयां करती हुई
बहुत अच्छी नज़्म है लोकेन्द्र जी ......!!
ये 'आरजू' के सितम ...कुछ समझ नहीं पाई .....!!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
bahut khoob likha aap ne
aap yu hee nirantar likte raheye.
वाह !!!!!!!!! क्या बात है.....
बहुत बढियाँ !!
behad hi khoobsurat gazal
harpankti sach ko bayan karti si lagi.
poonam
bauhat acchi....i liked d last couplet very much!!!
ka bat hai bhai,
Baujee maza aa gaya....
janm din kee hardik shubhkamnae...!!
janmdin ki bahut bahut badhai evam shubh-kaamnayen
bahut achchha likha
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
...बेहतरीन ....प्रसंशनीय !!!
'गुस्ताखी की जो अमन में अपनी दास्ताँ बयाँ की,
अब तो खुद हम अपना आशियाँ बचाने लगे हैं'
वाह!यह शेर बहुत खूब कहा है.
हम आरजू के सितम से घबराने लगे हैं,अब तो मरहम भी जख्म गहराने लगे हैं|
--बहुत खूब!क्या बात है!!
'चेहरे से जज्बातों की लकीरें छिपाने लगे है'
यह ख़याल भी गज़ब का है!
*****सभी शेर एक से बढ़ कर एक लगे.
पहले तो बहुत दिन बाद ब्लाग पर आने के लिये क्षमा चाहती हूँ। बहुत अच्छा प्रयास है गज़ल लिखने का। बधाई लगता है आज कल पढाई मे व्यस्त हो। बहुत बहुत आशीर्वाद।
गुस्ताखी की जो अमन में अपनी दास्ताँ बयाँ की,अब तो खुद हम अपना आशियाँ बचाने लगे हैं| nice
हर एक शेर उमदा।
खता थी ----- बहुत ही बढिया लगा। लगता है एग्ज़ाम से फुरसत मिल गयी है। बहुत बहुत आशीर्वाद।
I like the way u represnt ur blog..
I read it..nice
see mines blog too
http://gurudevnityananda.blogspot.com
bahut hi payaari ghazal...
shukriya share karne k liye..
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..
Banned Area News : How paint dries and peels off
एक टिप्पणी भेजें