बुधवार, 25 मार्च 2009

"जीवन की परिभाषा है"

जीवन की परिभाषा है
कुछ सोची, कुछ आशा है
है जीवन में क्या कुछ सोचों
कुछ अधूरे किस्से, कुछ पाने की आशा है,

कहाँ ठहर गए सब किस्से
कहाँ रुके हैं सब अब भी
खोना था जो, वो खो बैठे
अब तो बस पाने की आशा है।

दुनिया बहुत बड़ी है मित्रो
आँखों में ये न समाएगी,
करना होगा फतेह जीवन को
होगी फिर दुनिया भी परिचित
फिर कहता हूँ मै देखो
जीवन की परिभाषा है
कुछ सोची, कुछ आशा है !!

9 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

कुछ अधूरे किस्‍से , कुछ पाने की आशा है
अच्‍छी लगी जीवन की यह परिभाषा ... सुंदर रचना।

silky ने कहा…

kya ye sab tumne likha hai? tum itna vyavasthiat kaise likhne lage? phli baar tumhari rachnao me ek thahraav dekhne ko mila............isse jyada samajh me aana mere liye mushkil tha.... i m quite surprised !! keep it up.

कौशलेन्द्र ने कहा…

behtareen racha hai jeevan ki aasha -ek aash jalakar jeevan ke andhere raste ko roushan karne wali

Unknown ने कहा…

kavita main kuch chupa hai,
jo tum kahna chahte ho
kewal uska madhyam alag tarike ka hai.........
kavita bahut achchi hai....

मैं आज़ाद हूं ने कहा…

achchi kavita hai

Unknown ने कहा…

best hai.....

Unknown ने कहा…

achchi soch hai....

satish ने कहा…

कुछ अधूरे किस्‍से , कुछ पाने की आशा है
अच्‍छी लगी जीवन की यह परिभाषा ...
आपकी ये पंक्तिया जीवन की यथार्थ या जो इक्छा होती है उसको ब्यक्त करता है...
आपकी ये रचना बहुत अच्छी है .....धनयबाद

satish ने कहा…

कुछ अधूरे किस्‍से , कुछ पाने की आशा है
अच्‍छी लगी जीवन की यह परिभाषा ...
आपकी ये पंक्तिया जीवन की यथार्थ या जो इक्छा होती है उसको ब्यक्त करता है...
आपकी ये रचना बहुत अच्छी है .....धनयबाद