सोमवार, 23 फ़रवरी 2009

"किसी के आने की भनक आज है"

किसी के आने की भनक आज है
अकेले में मुस्कुराने की सनक आज है
कहाँ खो चलें थे हम ख़ुद को
फिर उसे पाने की तलब आज है,
एक दोस्त हमारा आता होगा
महफ़िल तो नही पर
खुशबू जरूर लाता होगा
होने को तो बस हम ही होंगे
जो साथ खिलखिलाने की ललक आज है,
फिर झगडेगें हम बारी-बारी
सबक देंगे सब दुनिया से न्यारी
होगें हम अब तनहाई से दूर
क्योंकि फिर साथ बैठने का समय आज है !!

9 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढ़िया रचना है।बधाई।

अनिल कान्त ने कहा…

बहुत अच्छा लिखा है आपने ...सचमुच अच्छी रचना ..

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सुंदर लिखा है....महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब

kranti ki patrakarita ने कहा…

aaj hi aaj hai kal naam ki koi cheez bhi nahi hai. baki aap kud samaghdar hai.

बेनामी ने कहा…

bhut khub h

vimi ने कहा…

wah ! kuch pyari yaadein taaza ho gayi.

बेनामी ने कहा…

" दो बातें एक एहसास की..." I think u r great thinker. bahut khub.

Unknown ने कहा…

bhawnao ko ukerna koi tumse
seekhe.....padhne par sath beete lamhe yaad aate hain.........