इस रचना को मैंने कुछ दिन पहले लिखा था। परन्तु कुछ कारणों वश उसे तब नही दे पाया था। इसे मैंने तब लिखा था, जब किसी अपने के कारण मुझे कुछ दुःख पहुँचा था और इत्तेफाक देखिये उस बार फ़िर मै अकेला ही था। उसी समय जो भावनाएं निकली उन्हें पन्ने पर दर्ज कर दिया और आज उन्ही एहसासो को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ...
जब भी ये दिल उदास होता है
कोई न जाने मुझे क्या रास होता है
मुस्कराते है हम भी
जब किसी का साथ होता है,
लगता है वो छलावा
पर करें भी हम क्या
जब दिल उदास होता है।
रहते थे तनहा
फ़िर रह गए तनहा
क्यों हुआ ये
बस यहीं सवाल होता है,
रोक ले हम किसी को कैसे
तनहाई खोने की चाहत में
वो ख़ुद से न जब
मेरे पास होता है।
होते है जीवन के
कुछ ऐसे पहलू भी
जिन्हें फ़िर से
जीने की चाह होती है,
इसी कसक में
इक गम साथ होता है
तभी ये दिल उदास होता है!!
कोई न जाने मुझे क्या रास होता है
मुस्कराते है हम भी
जब किसी का साथ होता है,
लगता है वो छलावा
पर करें भी हम क्या
जब दिल उदास होता है।
रहते थे तनहा
फ़िर रह गए तनहा
क्यों हुआ ये
बस यहीं सवाल होता है,
रोक ले हम किसी को कैसे
तनहाई खोने की चाहत में
वो ख़ुद से न जब
मेरे पास होता है।
होते है जीवन के
कुछ ऐसे पहलू भी
जिन्हें फ़िर से
जीने की चाह होती है,
इसी कसक में
इक गम साथ होता है
तभी ये दिल उदास होता है!!
12 टिप्पणियां:
बहुत अच्छी रचना है...भावुक
पहले तो मुझे ये फिल्मी गाना लगा था, मगर ये तो आपकी भाव-प्रणव रचना है।
सुन्दर रचना है!
बधाई।
दिल ये उदास होता है तो जाने आसपास कोई होता है इस गीत की तर्ज पर आपकी रचना अच्छी लगी.
रोक लें हम किसी को कैसे तन्हाई की चाहत मे----
बहुत गहरे भाव हैं आज आपकी पिछली पोस्त भी पढी बहुत अच्छा लगा यही भाव है आज कल जीने के लिये तन्हाई की फोटो बहुत बडिया लगी शुभकामनायें
बहुत गहरी रचना है भाई, वाह!
कुछ ऐसे पहलू भी
जिन्हें फ़िर से
जीने की चाह होती है,
इसी कसक में
इक गम साथ होता है
तभी ये दिल उदास होता है!!
गहरे भाव से युक्त अच्छी
रचना ,शुभकामनायें
भावपूर्ण रचना -- सुन्दर रचना
बहुत अच्छे , तन्हाई ही बात कर रही है |
मुझे ऐसा लगता है कि रास होता है न कह कर रास आता है कहा जाता है |
अब थोड़े खुशी के गीत भी लिखो |
बहुत अच्छी रचना है...दिल को छू गई
प्रिय लोकेंद्र जी ..आप बहुत ही भावुक और संवेदनशील इंसान हैं...ये आज फ़िर साबित हुआ...चलिये..अब मूड बदलिये..
"जब भी ये मन उदास होता है...
तो अच्छा लिखता है. "
दिवाली और छठ पर्व की शुभकामनाएं.
-सुलभ सतरंगी (यादों का इंद्रजाल वाले)
thanks for encouraging !!!! all poems are good...I liked this one very much ....
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