शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

"लौट आयीं हैं फिर यादें"

लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,
उन्मुक्त सी
बीतें हुए ख्यालों सी
अन्जानी सी, मतवाली सी
सुखद भरी अहसासों सी,
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,

बचपन की हैं कुछ मीठीं यादें
भोली सी हैं नटखट यादें
बच्चे थें हम
अब ये यादें हैं
लड़तें थे हम
ये यादें हैं
गिरते थें हम
ये यादें हैं
रोतें थे हम
अब ये बस यादें हैं
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,

जब हम किशोर हुये
तब की कुछ शरारती यादें,
क्रिकेट हैं यादें
पतंग हैं यादें
घूमने से लेकर
कॉलेज हैं यादें
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,

युवा दौर में जब हम थे
तब हैं अपनी मस्ती की यादें
मित्र हैं यादें
क्लास हैं यादें
कैंटीन हैं यादें
पार्क हैं यादें
कुछ तो हैं अब भी ऐसा
की अब तक ये हसीं है यादें
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,

अब हम जीवन पथ पर हैं
मंजिल तय करने को हैं,
न हैं अब वो पल हमारें
पर यादें अब भी हैं साथ हमारें !!
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी,
लौट आई हैं फिर यादें
सुबह की उजालों सी !!

2 टिप्‍पणियां:

roushan ने कहा…

बहुत सुंदर बचपन की क्या खूब याद दिलाई है

सत्य प्रिय ने कहा…

yaar lagta hai ab to tum rula hi doge...