शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

"मिट्टी का घरौंदा"

वर्षा के मौषम में हम
मिट्टी का घरौंदा बनायेंगें,
न बह जायें कहीं वो
ऐसी छांव को पायेंगें,
ज्ञान की फुलवारी से
उस घर को सजायेंगे,
मानवता के फूल से
उसकी शोभा बढायेंगे,
सूर्य किरणों को
उसकी आँगन -धूल बनायेंगे,
घर की महक होगी
खुशियों को बसाने से,
घरौंदा होगा अडिग हरदम
भले ही लाख तुंफा आयें,
है मिट्टी में भी इतना दम
ये सब को कर दिखायेंगे.!!

1 टिप्पणी:

roushan ने कहा…

isse bhi devnagri me kar daalo