शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008

"संकल्प"

हम तो हैं राही
जिंदगी के सफर के,
साथ बढ़ रहा जो
कदम दर कदम हमारें
वो है हमसफ़र हमारा
हम हैं हमराहीं उसके,
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सपनों के पथ पर
बढ़ चलें इक साथ हम अब,
हैं दुनिया फतेह करने का इरादा
जिंदगी के सफर में,

बन पथिक हम
राह पर निकलें अब हैं,
मंजिल पाने की चाह
दौडें अब हैं,

न रुकेंगी अब
ये जीत का सिलसिला,
अब तो करना हैं बस
हमें ही फैसला,
पाकें मंजिल भी
हमें हैं नहीं रुकना,
हैं आगे और भी मंजिल
हैं आगे और भी बढ़ना!!

3 टिप्‍पणियां:

roushan ने कहा…

बहुत खूब अच्छा लिखा है.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सुंदर विचार!
दीपावली पर हार्दिक शुभ-कामनाएँ!
दीवाली आप के लिए सुख, समृद्धि, यश और
शांति लाए।

सत्य प्रिय ने कहा…

its really toooo... good... touch kar diya yaar...