रविवार, 12 अप्रैल 2009

"इक आशा..."

कोशिश है कुछ पाने की
लेकर छोटी सी इक आशा
कहने को कुछ बाकी है
लेकर थोड़ी सी अभिलाषा,
खोने को तो हैं खो बैठे
जीवन की जगीर कोई
अब भी तो कुछ बाकी है
शायद इक छोटी सी आशा !!

1 टिप्पणी:

अनिल कान्त ने कहा…

आशा होना ही बहुत बड़ी बात होती है ...चाहे छोटी ही क्यों न हो