बस ऐसे ही एकांत में बैठा था मै की अन्तरमन कुछ पाने को व्यग्र सा हो रहा था। मैंने उसी समय अपनी कलम उठा ली और भावनाओ को एक पन्ने पर दर्ज कर दिया............. उसी एहसास की बातें अब आप लोगों के सामने यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ.............
यादों की इक रेल चली है
संगी-साथी लाने को,
पाने को वो हमराही
जो हमदर्द हमारा होता था,
यादों की इक रेल......
सफर में चलती रही
इक कारवां के साथ में
मंजिल अभी मिल न सकी
कुछ राहगीर पाती गई,
यादों की इक रेल.......
बदगुमाँ माहौल था जब
मिला न वो हमसफ़र,
सिसकियों की आड़ में
वो दास्ताँ कहती गई,
यादों की इक रेल........
कुछ मित्रों को ढूंढ रही थी
उन सूनी सी राहों पर,
मस्ती के पल को कैद किए
जहाँ पर यादें बसतीं थी,
यादों की इक रेल........
भूली है न वो कुछ भी
न भटकी है राहों से,
सब मिल जाता उसको कैसे
यह ही अब इक प्रश्न बचा,
यादों की एक रेल चली है
संगी-साथी लाने को !!
संगी-साथी लाने को,
पाने को वो हमराही
जो हमदर्द हमारा होता था,
यादों की इक रेल......
सफर में चलती रही
इक कारवां के साथ में
मंजिल अभी मिल न सकी
कुछ राहगीर पाती गई,
यादों की इक रेल.......
बदगुमाँ माहौल था जब
मिला न वो हमसफ़र,
सिसकियों की आड़ में
वो दास्ताँ कहती गई,
यादों की इक रेल........
कुछ मित्रों को ढूंढ रही थी
उन सूनी सी राहों पर,
मस्ती के पल को कैद किए
जहाँ पर यादें बसतीं थी,
यादों की इक रेल........
भूली है न वो कुछ भी
न भटकी है राहों से,
सब मिल जाता उसको कैसे
यह ही अब इक प्रश्न बचा,
यादों की एक रेल चली है
संगी-साथी लाने को !!
24 टिप्पणियां:
Sir, mazaa aa gaya padh kar..kuch panktiyaan to behatareen hai
Keep writing..
All the best.
महोदय, मजा आ गया आपकी रचना पढ़कर. अच्छी रचना. जारी रहिये.
---
एक चिठ्ठी देश के नाम लिखिए...उल्टा तीर
बहुत सुन्दर रचना
हिन्दीकुंज
इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिए,
बधाई।
बढिया रचना है।बधाई।
Waah..yaadon kee rel ye kalpna hee kitnee manbhawan hai...!
http://shamasansmaran.blogspot.com
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सिसकियों की आढ मे
वो दास्तां कहती गयी
रेल के माध्यम से गहरी भावमय अभिव्यक्ति की है कल्पनाओं का बडिया सम्मिष्रण है शुभकामनायें
बहुत गहरी अभिव्यक्ति
---
'विज्ञान' पर पढ़िए: शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!
Very Nice. I liked it. It is very cool, full of emotions.
I am peased to invite you to my blog-lifemazedar.blogspot.com
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Lots of Love and Avtar Meher Baba Ji Ki Jai
Yours
Chandar Meher
यादों में डुबकी , सुन्दर प्रस्तुति
वाह ! जी आपकी रेल में तो मजा आ गया...सुंदर कविता
Aapki abhiwyakti main jo saadgi hai woh kahin kahin per dil ko chooti hai .
accha laga likhate raheya
अच्छी भावाभिव्यक्ति है,प्रयास जारी रखना
बहुत खूबसूरत .....!!
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
सच जब यादों की रेल चलती है……………………सब कुछ कह दिया आपने।सुन्दर रचना,सुन्दर भाव्।
बहुत सुन्दर. मजा आ गया. चित्र भी बढ़िया रहा. आभार
अच्छी पंक्तियाँ है | बहुत सुंदर | हार्दिक बधाई |
yaadein jindgi bhar saath rahti hain
bhale hi saathi chhut jate hain
aap ki kavita mujhe aapni yaadoon me kho jane ko mazboor kar rahi hai
यादों की इसी रेल में जीवन का सफ़र तय करते चले जाते हैं..सभी...
लोकेन्द्र जी अच्छी रचना लिखी है.
इस ख़ूबसूरत और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ ! तस्वीर भी बहुत सुंदर है!
bahut sunder. achchi kalpanaye joki haqeekat se tartamya bithha karke rachi gayee hai..
bahut sunder. achchi kalpanaye joki haqeekat se tartamya bithha karke rachi gayee hai..
विस्मय विमुग्ध हूँ.... बहुत ही अच्छी रचना.......
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