शनिवार, 2 मई 2009

चुनावी गुफ्तगू...

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक निष्पक्ष, ईमानदार, और मजबूत सरकार के गठन का एक ही हल है वो है मतदान| देश के उज्जवल भविष्य के लिए हमें ही ५४३ चुन्निदा चेहरे विश्व जगत के सामने प्रस्तुत करने होगें।
जिसमे अभी तक के मतदान प्रतिशता को देखकर काफी अफसोस हो रहा है।
ये कम मतदान विशेष रूप से क्षेत्रीय पार्टियों की जीत में सहायक होती। जिनका भारत के पिछडेपन में विशेष योगदान भी रहता है।
कुछ गलतिया हममे भी है हमने अक्सर लोगो को सामप्रदायिक ताकतों,अलगाव वादियों, जाति वादियों और बाहुबलियों को ही वोट करते देखा है। फिर भी सबको भारत की प्रगति ही दिख पड़ती है।
और तो और देश की जो सबसे सम्मानित दो पार्टिया है उन्ही के द्वारा जब ऐसे गलत लोगो का चुनाव कर टिकट दिया जाये तो ये काफी शर्म भरी बात है।
मुझे इसके विषय में कुछ जानकारी डॉक्टर उत्तमा जी के ब्लॉग से मिली लेकिन उन्होंने सिर्फ बाहुबलियों का ही जिक्र किया लेकिन कुछ विशेष पहलू को उन्होंने भी अनदेखा छोड़ दिया हैं|| राजनीति में परस्पर घोर विरोधी रही दो पार्टियों ( भा.ज.पा. और स.पा.) के बारे में, इन दोनों की आग में न जाने कितने लोग क्षेत्रीय स्तर पर एक दूसरे के जान के दुश्मन बने बैठे हैं और इधर इनकी मित्रता देखिये की एक के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ दूसरे ने अपना कोई प्रत्याशी ही नही खडा किया| ये भारत की किस राजनीति को दर्शाता है|
सब सत्ता में आने से पहले या आने के लिए एक दूसरे के आरोप को सिध्द करते हुए जेल में डालने की बातें करेंगे, CBI जेब में होने तक का दावा भी करेंगे लेकिन सत्ता में आने के बाद एक ही सिक्के के दो पहलू नजर आयेंगे, की न जाने आगे ऊंट किस करवट बैठे|
सब मजबूत सरकार बनाने का दावा करते है लेकिन मंत्री पद किसी तोड़ फोड़ में माहिर इन्सान को ही देंगे जो उनके गंठबंधन को बनाये रख सकें| शायद ही हम आगे अमरीका की तरह देख सकें की हमारे देश के जुझारू नेताओ को ही मंत्री पद का भार सौपा गया है चाहें वो विपछी पार्टी से ही क्यों न हो और सरकार के बनाने के किसी भी गठबंधन में किसी प्रकार की सहभागिता न हो।

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