रविवार, 30 अगस्त 2009

"तोहफा..."

ये रचना मैंने अपने लखनऊ विश्वविद्यालय में दोस्तों के मस्ती के साथ बीती जिंदगी के दौरान लिखी थी, जो डायरी के पन्नो में नीचे दबी पड़ी थी। आज जब नजरो के सामने मिली तो उन्ही एहसासो को आपके सम्मुख प्रस्तुत कर दिया.......



वो बचपन के छूटे हुए पल
वो हंसते हुए गुजरा कल
वो खुशी से झूमते हुए पल
वो चोट खाये रोते हुए पल
वो स्कूल की यादें
वो नन्ही शरारतें
दोस्ती में देखो इनका मजा क्या है !!

वो यारों की मस्ती
वो यारों से मस्ती
बिछड़े दोस्तों की यादों की मस्ती
वो दोस्तों का साथ
वो दोस्तों के देखें हुए ख्वाब
वो टूटे हुए रिश्ते
इन रिश्तों में बीतें हुए पल
यहीं यादें हैं दोस्ती की
यही अनमोल तोहफा है जिंदगी का !!

11 टिप्‍पणियां:

M VERMA ने कहा…

वाकई यही अनमोल तोहफा है.
बहुत खूब
डायरी के पन्ने ऐसे ही होते है. अनमोल तोहफे समेटे हुए.

mehek ने कहा…

bahut sahi bachpan ke pal anmol hai,sunder rachana

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर रचना!! देखिये, शायद डायरी में कहीं कुछ और मिले तो पेश करें. :)

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर लगी यह रचना

Unknown ने कहा…

bahut sundar rachana hai

रश्मि प्रभा... ने कहा…

koi lauta de ye bite hue din.......

मोहन वशिष्‍ठ ने कहा…

waah ji waah bahut hi sunder rachna hai kaabiletarif jara mere blog par bhi gaur farmayen to mujhe khushi hogi

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर पल होते हैं बचपन के बाद मे तो इन्सान इन को याद करता ही रहता है मगर जी नहीं सकता। अब बेटा जी घर से दूर हो ना इस लिये और भी ये पल याद आते हैं बहुत बडिया रचना है बधाई।

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

यही अनमोल तोहफा है जिंदगी का !!
pachpan ke pal anmol hote hai...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

SCHOOL COLLEGE KI YAADEN LAJAWAAB HOTI HAIN ...... SADABAHAAR RAHTI HAIN ..... SUNDAR RACHNA HAI .....

Kulwant Happy ने कहा…

अगर वो पल मिले कहीं उधार

तो लै लूं जिन्द बेच मेरे यार
नहीं उतरता, उन यादों का खुमार
ये पंक्ति इस कविता को पढ़ने के बाद खुद ब खुद चली आई जुबां पर...